स्वरुप आहे प्रत्येकाला, जे निष्ठारुपी तेज तयाला...एकनिष्ठ जो या संस्कारांशी, कळते 'स्वरुप'त्याचे जगताला.....
अशा 'स्व'रूपाचे वर्धन व्हावे.....
गुरुवार, 11 मार्च 2010
त्रुटि कुछ है मेरे अन्दर भी
मैंने शांति नहीं जानी है ! त्रुटि कुछ है मेरे अन्दर भी, त्रुटि कुछ है मेरे बाहर भी, दोनों को त्रुटि हीन बनाने की मैने मन में ठानी है ! मैने शांति नहीं मानी है ! - हरिवंशराय बच्चन
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